जयपुर । राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि आदिवासी प्रकृति पूजक समाज है। उनकी प्रकृति पोषण परंपराओं से सीख लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम विविधता में एकता की भारत भूमि को समझने और एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना से साक्षात होने का अवसर है। उन्होंने राजभवन में देश के विभिन्न प्रांतों से आए युवाओं का स्वागत करते हुए उनसे अपनी ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र के विकास में लगाने का भी आह्वान किया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने सोमवार को राजभवन में नेहरू युवा केन्द्र द्वारा केंद्र सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय के सहयोग से आयोजित 15 वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से ही युवाओं को देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से रूबरू होने का मौका मिलता हैं। मिश्र ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए अपनी-अपनी विशिष्ट परम्पराएं हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत इन परम्पराओं के संरक्षण का कार्य होना चाहिए। उन्होंने संविधान प्रदत्त आधिकारों के साथ ही युवाओं को कर्तव्य पालना के लिए भी सदा सजग रहने का आह्वान किया। इससे पहले गढ़ चिरोली, महाराष्ट्र, उड़ीसा के मलकानगिरी और आंध्रप्रदेश के विशाखापटनम के आदिवासी युवाओं ने जनजातीय क्षेत्र की नृत्य और संगीत की मनोहारी प्रस्तुतियां दी। नेहरू युवा केन्द्र संगठन के राज्य निदेशक महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत शिविर आयोजन के उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
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