नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की संपत्ति की जांच करने के लोकपाल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर लोकपाल को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इस मामले में लोकपाल को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
आज सुनवाई के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने लोकपाल को शिकायत की, उसके बाद उनकी भूमिका खत्म हो गई। उसके बाद कोर्ट ने लोकपाल को पक्षकार बनाने का आदेश देते हुए लोकपाल को नोटिस जारी किया।
हाई कोर्ट ने 23 अप्रैल को निशिकांत दुबे को नोटिस जारी करते हुए लोकपाल को अगले आदेश तक कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 4 मार्च के लोकपाल के आदेश को चुनौती दी। लोकपाल ने अपने आदेश में सीबीआई को निर्देश दिया है कि वो उन दो संपत्तियों की जांच करे कि वो शिबू सोरेन की है या झारखंड मुक्ति मोर्चा की।
दरअसल, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दो संपत्तियां झारखंड मुक्ति मोर्चा की है न कि शिबू सोरेन की। उन्होंने कहा कि लोकपाल का आदेश लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि लोकपाल की जांच किसी व्यक्ति के खिलाफ हो सकती है न कि किसी राजनीतिक दल के खिलाफ। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि संबंधित संपत्तियां राजनीतिक दल की है। ऐसे में लोकपाल का आदेश कानून का उल्लंघन है।
निशिकांत दुबे ने 5 अगस्त 2020 को लोकपाल के समक्ष शिबू सोरेन, उनकी पत्नी और बच्चों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। हाई कोर्ट के आदेश पर लोकपाल के किसी भी कार्रवाई पर सितंबर, 2022 तक की रोक थी। 20 फरवरी को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने लोकपाल के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।