नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को दोपहर बाद सुनवाई के दौरान ईडी ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया। ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि अगली चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को आरोपित बनाया जाएगा। हुसैन ने कहा कि इस मामले के ट्रायल में आरोपितों की वजह से देरी हो रही है। एक आरोपित ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कहा कि 1700 पेजों की चार्जशीट में से उन्होंने 1600 पेजों का परीक्षण नहीं किया है। वो आरोपित आम आदमी पार्टी का प्रवक्ता है। ट्रायल कोर्ट ने एक आरोपित की ओर से घर के भोजन की मांग पर भी सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान दायन कृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया और कहा कि सीबीआई ने इस मामले में एक मुख्य चार्जशीट और दो पूरक चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने एक मुख्य चार्जशीट और छह पूरक चार्जशीट दाखिल की है। दोनों मामलों में अभी जांच जारी है। इस मामले में अभी गिरफ्तारी भी जारी है। सबसे ताजा गिरफ्तारी 3 मई को की गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज केस में सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसी आदेश को सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
दायन कृष्णन ने कहा कि एक आरोपित के खिलाफ तो अभी आरोप भी तय नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इस पहलू पर गौर नहीं किया। अभियोजन पक्ष ने अभी तक ट्रायल पूरा करने की कोशिश नहीं की है। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए दो बार याचिका लगाई गई, ऐसे में ये कहना गलत होगा कि आरोपितों की ओर से ट्रायल में देरी की जा रही है। हकीकत ये है कि ट्रायल शुरू करने की दिशा में शून्य काम हुआ है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मनीष सिसोदिया को जमानत दी जानी चाहिए।