पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को दिया ग्रीन एरिया बढ़ाने के उपाय करने के निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली में ग्रीन एरिया को बढ़ाने के लिए उपाय करें और इसे लेकर दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के साथ बैठक करें। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि दिल्ली में पेड़ों की कटाई की वजह से दिल्ली के लोग गर्मी से परेशान हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम वन विभाग और ट्री अथॉरिटी से उम्मीद करते हैं कि वे दिल्ली में पेड़ों की गैरकानूनी कटाई पर नजर बनाये रखें और कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में पेड़ों की कटाई को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे 01 जुलाई को ये स्पष्ट रूप से बताएं कि क्या रिज इलाके में दिल्ली के उप-राज्यपाल की अनुमति से पेड़ काटे गए, जबकि कोर्ट ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।

उल्लेखनीय है कि 24 जून को कोर्ट ने दिल्ली में भीषण गर्मी की स्थिति पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद को स्वत: निर्देश देने का प्रस्ताव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए से पूछा था कि कैसे पेड़ सरंक्षण अधिनियम को लागू किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए से कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद को भी इसमें शामिल किया जाए। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण चलाने का अभियान चलाया जाए।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के दक्षिणी रिज इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटने के मामले में डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने 16 मई को पांडा को गुमराह करने वाले हलफनामा पर नाराजगी जताते हुए अवमानना नोटिस जारी किया था।

डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने हलफनामा में कहा था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ काटे गए। इसी हलफनामा पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जस्टिस ओका ने कहा था कि मैं बीस वर्षों से ज्यादा समय तक संवैधानिक कोर्ट में जज रहा हूं लेकिन ऐसा गुमराह करने वाला हलफनामा अभी तक नहीं देखा। कोर्ट ने कहा कि ये पता होते हुए कि बिना कोर्ट की अनुमति के एक भी पेड़ काटे नहीं जाएंगे, दस दिनों तक पेड़ों की कटाई होती रही।

सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में रिज इलाका ही ऐसा इलाका है जहां दिल्ली में वन बचे हुए हैं। रिज इलाके में डीडीए ने काफी पेड़ों को गिराया है और करीब साढ़े दस किलोमीटर से लंबे रोड का निर्माण कराया है। ये रोड मेन छतरपुर रोड से सार्क यूनिवर्सिटी तक बनी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने 04 मार्च को डीडीए को 1051 पेड़ों को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीडीए सरकार का अंग है और उसे पेड़ों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। पेड़ों को बचाने के लिए डीडीए को वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए।

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