जयपुर । आपदा प्रबन्धन, सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग ने शीत लहर (शीतघात) के प्रकोप से बचाव के लिए विभागीय एवं जिला स्तर पर आवश्यक कदम उठाने को एडवायज़री जारी की है। आपदा प्रबन्धन विभाग के शासन सचिव पी सी किशन ने बताया कि संभावित शीतलहर के प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए इससे होने वाली क्षति को कम करने के लिए विभागीय एवं जिला स्तर पर सभी आवश्यक कदम उठाए जाये।
एडवायजरी के अनुसार समस्त जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के संशोधित दिशा-निर्देशों अनुसार स्थानीय जिला शीतलहर कार्य योजना तैयार की जाये एवं भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा जारी शीतलहर चेतावनी को जिला कमांड और नियंत्रण केंद्र के माध्यम से जन सामान्य तथा सम्बंधित विभागों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी होगी।
नगरीय विकास विभाग चिकित्सा सुविधा, बिजली, भोजन, जल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं के साथ आश्रय-रेन बसेरे का संचालन सुनिश्चित करेंगे एवं स्कूल शिक्षा विभाग स्कूल तथा शैक्षणिक संस्थाओं का कार्य समय भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा शीत लहर से सम्बंधित दी गयी चेतावनी के अनुसार एवं विधिवत स्कूल खुलने के समय में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक आदेश जारी किये जाऐंगे।
एडवायजरी के अनुसार चिकित्सा स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग को जिले में स्थित सभी शासकीय अस्पतालों में शीत लहर प्रभावित के उपचार के लिए विशिष्ट कार्य योजना बनाने की सलाह दी गई है ताकि बच्चो, दिव्यांगो, महिलाओं और वृद्धों की विशेष देखभाल उचित प्रकार से हो सके। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग पंचायत भवनों में शीत लहर से बचाव के उपाए से सम्बंधित प्रचार-प्रसार करेंगे, श्रमिकों को शीत लहर से बचाव सम्बन्धी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करायेंगे।
श्रम विभाग औद्योगिक एवं अन्य क्षेत्रों के कामगारों को शीत लहर से बचाव सम्बन्धी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करायेंगे तथा सार्वजानिक निर्माण विभाग को सड़क किनारे बेघर-प्रभावित लोगों को आश्रय गृहों में स्थानान्तरित करने कि व्यवस्था करेंगे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ऐसे स्थलों को चिन्हित करेंगे, जहा भिक्षुक अथवा शारीरिक रूप से कमजोर एवं निशक्तजन अधिक संख्या में रहते हो तथा उन जगहों पर रेन बसेरे की व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।
पशुपालकों को सलाह दी गई है कि शीत लहर के दौरान जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि उर्जा की आवश्यता बढ़ जाती है एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता मवेशियों के प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है जिससे ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी पशु आवास को सभी दिशाओं से ढकें। किसानों को सलाह दी गई है कि शीतलहर और ठंड से फसल के अंकुरण तथा प्रजनन के दौरान शीत लहर से काफी भौतिक विघटन होता है अथवा इससे बचने के लिए शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सतह सिंचाई करें और बगीचे में धुंआ करके भी फसलों को शीतघात से बचाया जा सकता है।