नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने डीएचएफल के 34 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जीवाड़े के मामले में कपिल वधावन को ट्रायल कोर्ट से मिली वैधानिक जमानत के आदेश को निरस्त कर दिया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में गलती की।
सीबीआई ने वधावन को इस मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। ट्रायल कोर्ट ने इस आधार पर जमानत दी थी कि सीबीआई ने तय समय सीमा के अंदर अधूरी चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि अगर केस की मेरिट पर गौर किया जाता तो शायद जमानत नहीं मिलती लेकिन कोर्ट डिफाल्ट जमानत देने को मजबूर है, क्योंकि तय समय सीमा में सीबीआई ने अधूरी चार्जशीट दाखिल की ।
सीबीआई ने 15 अक्टूबर, 2022 को 55 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान भी लिया था। इस चार्जशीट को आरोपित की ओर से अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत अधूरा बताया गया था। सीबीआई ने वधावन को जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया था। इस मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत 17 दूसरे बैंकों से करीब 42 हजार करोड़ का लोन लेकर उसे डीएचएफएल ने दूसरी कंपनियों में अवैध तरीके से ट्रांसफर किए हैं।