नैनीताल। हाई कोर्ट ने हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद दस दिन के भीतर कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं कि विश्वविद्यालय व केंद्र सरकार से पूछा है कि इनकी नियुक्ति किस नियमावली के तहत की गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि नियत की है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार समाज सेवी देहरादून निवासी रवींद्र जुगरान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2009 के विरुद्ध जाकर की गई है। याचिका में कहा कि फहले वाइस चांसलर की नियुक्ति करने के लिए विज्ञप्ति जारी हुई जिसमें 203 अभ्ययर्थियों ने आवेदन किया। बाद में 15 अभ्ययर्थियों की एक शार्ट लिस्ट बनाई गई। इन 15 अभ्यर्थियों में से तीन अभ्यर्थी इस पद के लिए योग्य पाए गए लेकिन चयन कमेटी ने इस पद पर इन तीन अभ्यर्थियों में से न करके किसी चौथे अभ्यर्थी को वाइस चांसलर के पद पर नियुक्त कर दिया। जिस व्यक्ति की नियुक्ति की गई उसने कभी इस पद के लिए आवेदन किया ही नहीं और न ही उसके पास इस पद के लिए योग्यता है। फिर किस आधार पर उनकी नियुक्ति इस पद पर कर दी गई। लिहाजा उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाए।