प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस और ऑस्ट्रिया की अपनी यात्रा संपन्न कर बुधवार को स्वदेश के लिए रवाना हो गए। इस यात्रा के दौरान उन्होंने ऑस्ट्रियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन और चांसलर कार्ल नेहमर से मुलाकात की तथा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
उन्होंने वियना में भारतीय प्रवासी समुदाय के लोगों से भी बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रिया की सफल यात्रा के बाद नई दिल्ली के लिए रवाना हुए।” अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने दोनों नेताओं के साथ यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति सहित विश्व में चल रहे विवादों पर भी चर्चा की।
मोदी ने किया पोस्ट
प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “ऑस्ट्रिया की मेरी यात्रा ऐतिहासिक और अत्यंत उत्पादक रही है। हमारे देशों के बीच मैत्री में नई ऊर्जा जुड़ी है। वियना में विविध कार्यक्रमों में भाग लेकर मुझे खुशी हुई। चांसलर @karlnehammer, ऑस्ट्रियाई सरकार और लोगों के आतिथ्य और स्नेह के लिए आभार।” ऑस्ट्रिया की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार सुबह दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे।
ऑस्ट्रिया की अपनी यात्रा से पहले मोदी पहले रूस गए, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यूक्रेन संघर्ष के बाद यह उनकी पहली मॉस्को यात्रा थी। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती है। मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए आधिकारिक तौर पर ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ पुरस्कार से सम्मानित किया। इस पुरस्कार की घोषणा 2019 में की गई थी।
ऑस्ट्रिया की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया को ‘बुद्ध’ दिया है, ‘युद्ध’ नहीं, जिसका अर्थ है कि उसने हमेशा शांति और समृद्धि दी है और इसलिए देश 21वीं सदी में अपनी भूमिका को और मजबूत करने जा रहा है। बुधवार को वियना में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि भारत सर्वश्रेष्ठ, प्रतिभाशाली बनने, सबसे बड़ी उपलब्धियां हासिल करने और सर्वोच्च मील के पत्थर तक पहुंचने की दिशा में काम कर रहा है।
“हजारों वर्षों से हम अपना ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करते रहे हैं। हमने दुनिया को ‘युद्ध’ नहीं, ‘बुद्ध’ दिया। भारत ने हमेशा शांति और समृद्धि दी है और इसलिए भारत 21वीं सदी में अपनी भूमिका को और मजबूत करने जा रहा है।” ऑस्ट्रिया की अपनी पहली यात्रा को “सार्थक” बताते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 41 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस देश की यात्रा पर आया है। उन्होंने कहा, “यह लंबा इंतजार एक ऐतिहासिक अवसर पर खत्म हुआ है। भारत और ऑस्ट्रिया अपनी दोस्ती के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “भौगोलिक दृष्टि से भारत और ऑस्ट्रिया दो अलग-अलग छोर पर हैं, लेकिन हमारे बीच कई समानताएं हैं। लोकतंत्र दोनों देशों को जोड़ता है। हमारे साझा मूल्य स्वतंत्रता, समानता, बहुलवाद और कानून के शासन के प्रति सम्मान हैं। हमारे समाज बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी हैं। दोनों देश विविधता का जश्न मनाते हैं और इन मूल्यों को दर्शाने का एक बड़ा माध्यम चुनाव हैं।