WTO: विश्व व्यापार संगठन वार्ता सत्र के दौरान भारत ने सुदूर जल में मछली पकड़ने वाले देशों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। भारत ने सुदूर जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी पर कम से कम 25 साल की रोक लगाने की भी अपील की है।
बैठक के दौरान भारत ने यह भी कहा कि घरेलू मछुआरे मछली पकड़ने के लिए स्थायी प्रथाओं का पालन करते हैं। इस क्षेत्र पर किसी भी समझौते में मछली पकड़ने वाले समुदाय के हितों और कल्याण को ध्यान में रखना चाहिए, जो समुद्री संसाधनों पर निर्भर है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत ने सदस्यों से कम से कम 25 वर्षों की अवधि के लिए अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) से परे मछली पकड़ने या मछली पकड़ने से संबंधित गतिविधियों के लिए दूरस्थ जल क्षेत्रों में मछली पकड़ने वाले देशों द्वारा सब्सिडी पर रोक लगाने का आग्रह किया।
भारत ने कहा कि सदस्यों को टिकाऊ मछली पकड़ने और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन पर बड़े पैमाने पर सब्सिडी के हानिकारक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि किसी देश के समुद्री तटों से 200 सुमद्री मील से अधिक दूर मछली पकड़ने को दूरस्थ जल मछली पकड़ना कहा जाता है।
भारत ने बैठक में मत्स्य पालन सब्सिडी पर कोई भी व्यापक समझौता सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों पर बनाया जाना चाहिए भारत ने बताया कि अधिक क्षमता और अधिक मछली पकड़ने (ओसीओएफ) से निपटने के मौजूदा दृष्टिकोण में गहरी खामियां हैं। नॉर्वे, चीन, जापान और अमेरिका जैसे देश दूर दराज के जल क्षेत्र में मछली पकड़ने का काम करते हैं और अपने मछली पकड़ने वाले समुदाय को भारी सब्सिडी देते हैं।
बैठक में भारत ने कृषि से जुड़े मुद्दे को भी उठाया
मंगलवार को डब्ल्यूटीओ की बैठक में भारत ने कहा कि कृषि मुद्दों पर बातचीत का ध्यान केवल कृषि-निर्यातक देशों के व्यापार हितों तक सीमित नहीं होना चाहिए। कृषि पर डब्ल्यूटीओ वार्ता सत्र के दौरान भारत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग मुद्दे पर स्थायी समाधान के बिना विश्व व्यापार संगठन में सबसे महत्वपूर्ण और लंबे समय से लंबित जरूरी मुद्दा विकासशील देशों की भूख के खिलाफ लड़ाई नहीं जीती जा सकती है। गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश 26 फरवरी से शुरू हुए 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) के लिए इकट्ठे हुए हैं।