जयपुर । 103 साल की उम्र में हर्निया का ऑपरेशन कराने वाले मरीज की हिम्मत और डॉक्टर्स के अनुभव की मिसाल पेश करने वाला यह केस अब और खास बन गया है। इटर्नल हॉस्पिटल में हुआ यह अनोखा केस अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो गया है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की अथॉरिटी ने इस केस को सफलतापूर्वक करने वाले हॉस्पिटल के सीनियर जनरल सर्जन डॉ डीएस मलिक और उनकी टीम को रिकॉर्ड दर्ज करने का सर्टिफिकेट दिया।
डॉ. डीएस मलिक ने बताया कि मरीज को लंबे समय से हर्निया की समस्या थी। लेकिन उम्र ज्यादा होने और अन्य समस्याओं के कारण वे सर्जरी नहीं करवा रहे थे। कुछ समय पहले से उनकी तकलीफ इतनी बढ़ गई कि चलते वक्त भी उन्हें हर्निया को हाथ से सपोर्ट देना पड़ता था। ऐसे में उन्होंने सर्जरी कराने का निर्णय लिया। इस हाई रिस्क सर्जरी में सीनियर एनेस्थेटिस्ट डॉ मोना बाना एवं उनकी टीम का विशेष योगदान रहा। ऑपरेशन के दूसरे दिन ही उन्होंने चलना फिरना शुरू कर दिया और तीसरे दिन उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया।
इस मौके पर इटर्नल हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ सर्जरी की जटिलताएं भी बढ़ती जाती हैं। लेकिन हमारे अनुभवी डॉक्टर्स और विश्वस्तरीय मल्टीस्पेशलिटी बैकअप की बदौलत 103 साल की उम्र में भी हर्निया का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। इसका रिकॉर्ड बुक में दर्ज होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के डॉ. पुष्प राज मुकीम ने कहा कि जब रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए हमारे पास आवेदन आया तो हमने पाया कि 103 साल की उम्र में हर्निया का ऑपरेशन करवाने वाले तुलसीराम शर्मा इकलौते व्यक्ति हैं। इसलिए हमने इस केस को दर्ज किया। हाल ही में यह केस इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है।