हरिद्वार । दारुल उलूम देवबंद का गजवा ए हिन्द को सही बताने के बाद शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज का संघर्ष और बढ़ गया है। वो पिछले 25 से अधिक वर्षों से हिन्दुओं को गजवा ए हिन्द के बारे में जागरूक करने का प्रयास कर रहे थे, जब दारुल उलूम देवबंद की मजलिश ए शूरा ने गजवा ए हिन्द को सही बताकर अपने इरादों और लक्ष्यों को दुनिया के सामने रख ही दिया है।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने कहा कि इसके बाद अब किसी को समझने और समझाने की लिये कुछ भी नहीं बचा है, लेकिन दिशाहीन और दिग्भ्रमित हिन्दू समाज कुछ भी मानने और समझने को तैयार नही है। ऐसे में सम्पूर्ण विश्व के समक्ष इस्लामिक जिहाद के खतरे को रखने के लिये वे विश्व धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं, जिसके आयोजन के लिये उन्होंने संरक्षण, मार्गदर्शन और सहयोग के लिए सनातन के धर्माचार्यों के समक्ष हाथ फैलाए हैं।
आज उन्होंने सर्वानंद घाट से चारों पीठों के शंकराचार्यों को पत्र लिख कर उनसे शिवशक्ति धाम डासना में 17 से 21 दिसम्बर को आयोजित होने वाली विश्व धर्म संसद का संरक्षण व मार्गदर्शन के करने की प्रार्थना की। सर्वानंद घाट पर उनके साथ डॉ उदिता त्यागी, यति रामस्वरूपानंद, यति नित्यानंद, यति निर्भयानंद, यति रणसिंहानन्द, यति यतींद्रानंद और अन्य उपस्थित थे। सर्वानंद घाट पर उन्होंने सर्वप्रथम मां गंगा और महादेव की पूजा अर्चना करके सनातन धर्म के सभी शत्रुओं के समूल विनाश की कामना की।
चारों पीठों के शंकराचार्यों को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि आज सनातन धर्म सम्पूर्ण विनाश के कगार पर है। सनातन धर्म और सम्पूर्ण मानव अस्तित्व पर आए आज तक के सबसे बड़े संकट के कारण पत्र लिखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस वैचारिक संघर्ष को वैश्विक रूप देने के लिये शिवशक्ति धाम डासना जिला गाजियाबाद (उप्र) में आगामी 17 से 21 दिसम्बर 2024 को विश्व धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं। इस आयोजन में सम्पूर्ण विश्व के गैर इस्लामिक धर्मगुरुओं को निमंत्रित किया जायेगा और इस वैश्विक संकट पर गंभीर चर्चा की जाएगी।