लखनऊ: होली वसंत ऋतु में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। वस्तुतः यह रंगों का त्योहार है। यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है उसके दूसरे दिन प्रतिपदा को रंग खेला जाता है। फाल्गुन मास में मनाए जाने के कारण होली को फाल्गुनी भी कहते हैं।
होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। वह भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्वाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी, लेकिन प्रह्वाद को कुछ भी नहीं हुआ और स्वयं होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई होलिका दहन के अगले दिन रंग खेले जाते हैं। जिसे रंगवाली या घुलंडी के नाम से भी जाना जाता है।
भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। काशी के महावीर एवं ऋषिकेश पंचांगों अनुसार इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 24 मार्च रविवार को प्रात: 9:24 से प्रारम्भ होकर 25 मार्च को दिन में 11:27 तक रहेगी और भद्रा 24 मार्च को प्रात: 9:24 से प्रारम्भ होकर रात्रि 10:27 पर समाप्त हो जायेगी। होलिका दहन मुहूर्त रात्रि 10:27 से लेकर रात्रि 12:12 तक करना श्रेष्ठ है। रंगों की होली 25 मार्च सोमवार को खेली जाएगी।