देहरादून । चारधाम यात्रा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख माध्यम है। इसलिए शासन प्रशासन चारधाम यात्रा को काफी महत्व देता है। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा इस वर्ष 10 मई से शुरू होने जा रही है। अक्षय तृतीया के अवसर पर सबसे पहले गंगोत्री के कपाट खुलेंगे। इसके बाद यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के कपाट खोले जाएंगे।
प्रदेश की धामी सरकार इस वर्ष यात्रा के सभी प्रबंधों की लगातार समीक्षा कर रही है। बद्री केदार मंदिर समिति जहां यात्रा की तैयारी में जुटी हुई है वहीं केदारनाथ पैदल मार्ग में जमी बर्फ हटाने का काम भी तेजी से किया जा रहा है।
इस बाबत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड की विश्वविख्यात चार धाम यात्रा का शुभारंभ 10 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ होगा। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद यमुनोत्री धाम और उसके बाद केदारनाथ फिर बद्रीनाथ और अंत में सिखों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट खोले जाएंगे। यात्रा से संबंधित सभी विभागों की समीक्षा बैठक की जा चुकी है और तैयारी पर मेरी दृष्टि है। विभागों से तालमेल के माध्यम से लगातार समीक्षा की जा रही है ताकि यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर इंतजाम किया जा सकें। उन्होंने कहा कि यात्रा में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सरल और व्यवस्थित यात्रा का अनुभव हो इसके लिए सरकार पूर्ण प्रयास कर रही है।
बद्री केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पिछले दो सालों में चार धाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचे हैं। वर्षवार जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 2022 में 46 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चार धाम के दर्शन किए थे जबकि 2023 में यह आंकड़ा 56 लाख तक पहुंच गया था। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल भी यात्रा में नए रिकॉर्ड कायम होंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति व्यवस्थाओं को समय पर दुरुस्त करने में जुटी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के चलते सरकार और बद्री केदार मंदिर समिति समय से पहले ही सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दे रही है।
उन्होंने बताया कि 2023 में हुई यात्रा में 56 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इनमें सबसे ज्यादा केदारनाथ धाम में 19 लाख 61 हजार 277, बदरीनाथ धाम में 18 लाख 25 हजार 132, गंगोत्री में 9 लाख 5 हजार 174, यमुनोत्री में 7 लाख 35 हजार 244 और हेमकुंड साहिब में 1 लाख 77 हजार 463 श्रद्धालुओं ने मत्था टेका था।