रांची । राजधानी रांची के हरमू स्थित झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दलान पर मंगलवार को मैथिली के वरिष्ठ रचनाकार गंगानाथ गंगेश की पुस्तक मेघडंबर का विमोचन हुआ। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नरेंद्र झा ने कहा कि अपनी लेखन की दूसरी पारी में गंगानाथ गंगेश ने जितने धैर्य और लगन के साथ महत्वपूर्ण साहित्य की रचना की है, वह विरल है। उनकी वर्णन शैली और प्रांजल भाषा पाठकों को विषयवस्तु के साथ बांधे रखती है।
उन्होंने कहा कि मेघडंबर से पहले जीवकांत पर केंद्रित उनकी संस्मरण पुस्तक अधरतियाक चान ने भी नए पाठकों को आकर्षित किया था और मुझे उम्मीद है कि उनकी नई पुस्तक मेघडंबर मैथिली पाठकों को उनकी रचनात्मकता के अन्य पहलुओं से भी पाठकों का साक्षात्कार कराएगी।सुप्रसिद्ध साहित्यकार और रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ प्रमोद कुमार झा ने गंगानाथ गंगेश को मेघडंबर के लिए बधाई देते हुए कहा कि मैथिली साहित्य जगत में लेखकों के बीच परस्पर ईर्ष्या-द्वेष की भावना अधिक रहती है। अपने लेखन की पहली पारी में परंपरावादियों के व्यंग्य बाणों से आहत गंगानाथ गंगेश ने बेशक कुछ समय के लिए लेखन से विराम ले लिया था लेकिन किसुन संकल्प लोक के संपादक केदार कानन के प्रोत्साहन से उन्होंने पुनः लेखन आरंभ किया और एक-से-एक रचनाएं उन्होंने मैथिली पाठकों के समक्ष परोसी हैं।झा ने कहा कि इस पुस्तक में परंपरावादियों की ओर से उन पर किए गए शाब्दिक हमले की पूरी कहानी इस पुस्तक में सम्मिलित की गई है, जो मैथिली के युवा एवं नए पाठकों के लिए एक नई जानकारी है। यह पुस्तक लेखक गंगानाथ गंगेश के विषय वैविध्य और रचनात्मक विशिष्टताओं से परिचय कराती है। पुस्तक की साज-सज्जा बेहद आकर्षक है और मैथिली में ऐसी साफ-सुथरी तथा त्रुटिरहित पुस्तकों का प्रकाशन कम ही देखने को मिलता है।भारती मंडन पत्रिका के लब्धप्रतिष्ठ संपादक एवं साहित्यकार केदार कानन ने कहा कि यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद खुशी की बात है कि गंगेश ने अपने लेखन की दूसरी पारी में रचनात्मक श्रेष्ठता के शिखर का स्पर्श किया है, जो उनकी रचनात्मक ऊर्जा का दर्शाता है।