कोलकाता । लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मी के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल के बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने नाराजगी जताई है। राहुल गांधी ने कहा था कि पीएम मोदी कभी पाकिस्तान की बात करते हैं तो कभी समुद्र के अंदर जाकर नाटक करते हैं। वह डरते हैं।
दरअसल पीएम मोदी ने समुद्र के अंदर जाकर द्वारिका के दर्शन किए थे, जिसे राहुल गांधी ने ड्रामा करार दिया था।
इस पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सुदीप्त गुहा ने इस संबंध में हिन्दुस्थान समाचार से कहा, ‘नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में भारत को जहां पहुंचाया है, वहां भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तुलना नहीं है। उसी तरह भारतीय राजनीति में मोदी और राहुल के बीच कोई तुलना नहीं है।’
उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने शुरू से हिंदू धर्म का विरोध किया। आजादी के बाद नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। पुजारियों ने इंदिरा गांधी को पुरी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। शाहबानो केस और राममंदिर में राजीव गांधी की भूमिका के बारे में सभी जानते हैं। उसी की अगली कड़ी में राहुल की टिप्पणी उनकी हताशा की अभिव्यक्ति है।”
राहुल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता और कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पंकज रॉय ने कहा, “श्रीकृष्ण की राजधानी द्वारका थी। इसी कारण उन्हें द्वारकाशीष या द्वारकेश्वर भी कहा जाता है। भागवत पुराण में द्वारका का उल्लेख एक प्राचीन साम्राज्य के रूप में किया गया है। लगभग 200 वर्ष ईसा पूर्व के इस शहर को 1473 में गजनी के सुल्तान मामूद ने नष्ट कर दिया था। इससे पहले अठारहवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की एकरूपता के लिए चार धामों में से एक के रूप में द्वारका का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री उस द्वारिका में पूजा करने गये। इस पर भी सवाल खड़ा करने से बड़ी विडंबना नहीं हो सकती! क्या प्रधानमंत्री को पूजा करने का अधिकार नहीं है?”
पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष, केंद्रीय समिति के पूर्व सदस्य और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर असीम घोष ने भी राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी बताई है। उन्होंने कहा, ‘लोगों को इतिहास के कई पात्रों की प्रामाणिकता पर संदेह है लेकिन लोगों की मान्यताओं को कैसे नजरअंदाज किया जाए? क्या राजनीतिक हमले का निशाना सिर्फ राम, कृष्ण, द्वारिका ही हैं? राहुल गांधी ही क्यों, लोगों की आस्था को इस तरह ठेस पहुंचाने का हक किसी को नहीं है!