नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने फायर सेफ्टी के मानदंडों को पूरा नहीं करने वाले कोचिंग संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया है। जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को ये आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने पहले की सुनवाई के दौरान मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर की जांच के लिए वकीलों की टीम भेजने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि जिन कोचिंग संस्थानों के परिसर के बाहर बिजली के उपकरण लगे हुए हैं उन्हें दूसरे स्थानों पर स्थापित किया जाए, क्योंकि वे आम लोगों के लिए खतरे का सबब हैं।
इस मामले में हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी गौतम नारायण ने अप्रैल में दो बार कोचिंग सेंटर्स की जांच की गई थी। इस जांच में पता चला कि दिल्ली नगर निगम जिन कोचिंग सेंटर्स के बंद होने का दावा कर रही थी वे अभी भी चल रहे हैं, लेकिन नाम बदलकर। गौतम नारायण ने कहा कि इन कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है। एक संस्थान के प्रवेश द्वार पर ही बिजली का बोर्ड स्थापित किया गया है। आग लगने की स्थिति में उसका रास्ता ही बंद हो सकता है। इस पर हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि उसके आदेश के बावजूद ये कोचिंग संस्थान बंद क्यों नहीं हुए। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और डीडीए को निर्देश दिया की फायर सेफ्टी मानदंडों का पालन नहीं करने वाले कोचिंग संस्थानों को बंद करें।
उल्लेखनीय है कि मुखर्जी नगर में 15 जून 2023 को कोचिंग सेंटर में आग लगी थी, जिस पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया था। हाई कोर्ट ने बिना फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र के चल रहे कोचिंग सेंटर को बंद करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने फायर सर्विस अथॉरिटी को आडिट करने का निर्देश देते हुए यह पता लगाने को कहा था कि अथॉरिटी ये पता लगाएं कि ऐसी इमारतों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट हैं या नहीं।
मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटर में आग लगने के बाद मची अफरातफरी के बाद छात्रों ने रस्सी के सहारे उतरकर अपनी जान बचाई थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस मामले में मुखर्जी नगर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 336, 337, 338, 120बी और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था।