अहमदाबाद । राजकोट टीआरपी गेम जोन अग्निकांड में गुरुवार को दो जजों बिरेन वैष्णव और जज देवेन देसाई की बेंच में सुनवाई की गई।
हाई कोर्ट ने राजकोट महानगर पालिका (आरएमसी) को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि गेम जोन शुरू हुआ, उस वक्त के आरएमसी आयुक्त को क्यों नहीं सस्पेंड किया गया। दूसरे विभाग के कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है। अग्निकांड में 28 लोगों की जान गई है, इसमें बच्चे भी हैं। आयुक्त के विरुद्ध आईपीसी की धारा क्यों नहीं लगाई गई। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी बनती है और चली जाती है लेकिन दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं लेती है। कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आता है लेकिन कुछ समय बाद पहले वाली स्थिति ही बन जाती है। अब अगली सुनवाई 13 जून को होगी।
सुनवाई के दौरान एडवोकेट एसोसिएशन की दलील पर सरकार की ओर से वकील ने नाराजगी जताई। दलील के दौरान एडवोकेट एसोसिएशन ब्रिजेश त्रिवेदी ने कहा कि साक्ष्य हटाने का आदेश किसने दिया था? इस पर राज्य सरकार की ओर से त्रिवेदी के बोलने पर आपत्ति दर्ज की गई। ब्रिजेश त्रिवेदी ने कहा कि यदि सरकार आरोपितों की ओर से दलील कर सकती है तो वे पीड़ितों की ओर से क्यों नहीं बोल सकते हैं। इसके अलावा सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि मनपा आयुक्त की बदली की गई है, तो कोर्ट ने कहा कि आयुक्त का तबादला पर्याप्त कार्रवाई नहीं है। सभी सबकुछ जानते थे। कोर्ट में एसआईटी ने फाइनल रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का समय मांगा लेकिन सरकार ने 28 जून का समय दिया।