लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नब्बे के दशक में यूपी पुलिस का कांस्टेबल सूरल पाल को यौन शोषण के आरोप में मुकदमा लिखकर जेल भेज दिया गया। जेल से छूटने के बाद सूरज पाल अपने दोस्तों की मदद से कथावाचक बन गया। हाथरस में सूरज पाल ही कथा कह रहा था।
हाथरस में कथा सत्संग के दौरान भगदड़ हुई और एक सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी। प्रदेश में बड़े हादसे की सूचना के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव मौके पर पहुंचें तो कथा के आयोजकों और कथा करने वाले संत की जानकारी जुटायी जाने लगी। इस दौरान कथावाचक सूरज पाल उर्फ बाबा भोले उर्फ बाबा साकार हरी का पुराना इतिहास निकल कर सामने आ गया।
सूरज पाल जो अट्ठाईस वर्ष पूर्व में यूपी पुलिस में नौकरी करता था। सूरज बतौर कांस्टेबल अपनी ड्यूटी करता था। उसी वक्त उसके ऊपर यौन शोषण के आरोप लगे और वह जेल चला गया। कुछ समय बीतने के बाद वह जेल से छूटा और फिर छोटे मोटे काम करने लगा। जीवन चलाने के लिए उसके दोस्तों ने उसे कथा कहने की सलाह दे डाली।
वर्ष दो हजार बारह में हुए कुम्भ के बाद सूरज पाल कथावाचक बनकर उभरा और हाथरस, आगरा, इटावा, मैनपुरी जैसे क्षेत्रों में कथा करने लगा। हाथरस में हुए हादसे से पहले सूरज पाल की कथा चल रही थी। घटना के दिन कथावाचक सूरज का आगमन हुआ तो वहां लोगों को रोका गया। जब भीड़ को छोड़ा गया तो आगे बढ़कर पंडाल में पहुंचने की होड़ थी, जो हादसे में बदल गयी।