बाबा विश्वनाथ की नगरी भगवान जगन्नाथ की आराधना में हुई लीन

वाराणसी । बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी जग के पालनहार भगवान जगन्नाथ के आराधना में लीन है।काशी के लक्खा मेले में शुमार तीन दिवसीय रथयात्रा मेले में पूरा क्षेत्र जय जगन्नाथ, हर-हर महादेव के उदघोष से गुंजायमान है। मेले के पहले दिन रविवार को अलसुबह से ही हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए रथयात्रा मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे।

भोर में ही भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा के खास काष्ठ विग्रह को अष्टकोणीय रथ पर विराजमान कराया गया। फिर विग्रहों को पीताम्बर वस्त्र धारण कराया गया। स्वर्ण मुकुट एवं आभूषण पहनाने के साथ बेला, गुलाब, चंपा, चमेली, तुलसी की मालाओं से श्रृंगार किया गया। शुभ मुहूर्त में सुबह 04 बजे प्रभु जगन्नाथ एवं शालिग्राम पूजन के साथ तड़के 5.11 बजे मंगला आरती की गई। इस दौरान मौजूद हजारों भक्तों ने परम्परानुसार प्रभु का रथ दो पग खींचा। इसके बाद भगवान के अलौकिक झांकी के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। इसके साथ ही दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। पूरा इलाका जय जगन्नाथ, हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से गूंज उठा। लोगों ने पूरे श्रद्धाभाव से प्रभु को फल-पुष्प और तुलसी की माला अर्पित की। भगवान जगन्नाथ की अलौकिक छवि देख श्रद्धालु और उनके परिजन आह्लादित होते रहे। भगवान जगन्नाथ की दोपहर 12 बजे मध्याह्न भोग आरती, तीन बजे श्रृंगार आरती, रात 08 बजे भोग श्रृंगार आरती और रात 12 बजे शयन आरती होगी।

उधर, दर्शन पूजन के बाद लोग परिवार सहित मेले में चरखी-झूले पर झूलने के साथ चाट-गोलगप्पे का स्वाद लेते रहे। घर लौटते समय प्रसाद स्वरूप नानखटाई की जमकर खरीदारी हुई। मेला क्षेत्र में एक दिन पूर्व ही खान-पान की दुकानें सज गई थीं। नानखटाई के लिए मशहूर इस मेले में खिलौना, सौंदर्य प्रसाधन, चाट-पकौड़ी की दुकानें तीन दिन तक गुलजार रहेंगी। धूप और बारिश से बचने के लिए दुकानदारों ने तिरपाल लगाया है। इसके पहले भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ प्रतीक रूप से मनफेर के लिए शनिवार शाम को डोली पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले। अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकली प्रभु की डोली यात्रा में शामिल हजारों भक्त भावविह्वल रहे। जय जगन्नाथ…जय जगन्नाथ… और हर-हर महादेव के घोष के बीच डोली यात्रा अस्सी चौराहा, दुर्गाकुंड, नवाबगंज, कश्मीरीगंज राममंदिर, शंकुलधारा, बैजनत्था, कमच्छा होते यात्रा रथयात्रा क्षेत्र स्थित बेनीराम बाग पहुंची। यहां शापुरी परिवार के सदस्यों ने प्रभु की अगुआनी की। प्रभु बगीचे में रात्रि विश्राम करने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में अष्टकोणीय रथ पर विराजमान हुए। भगवान की डोली मेला क्षेत्र में पहुंचने से पहले ही उनका रथ मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गया।

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