गाजियाबाद । यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं। जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी। युवा दिवस के अवसर पर इंदिरापुरम इंस्टीट्यूट ऑफ हायर स्टडीज (आईआईएचएस) में हरनंदी महानगर द्वारा महाविद्यालयीन कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें सहभागी युवाओं की संख्या लगभग 360 रही।
मुख्य वक्ता मेरठ प्रांत के प्रांत सह-प्रचारक विनोद ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के दौर में जब युवा नई-नई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। नए लक्ष्य तय कर रहे हैं और अपने लिए एक बेहतर भविष्य की आकांक्षा रख रहे हैं। तो स्वामी विवेकानंद के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति संगठित होकर स्वामी विवेकानंद के आदर्शाें का अनुसरण करते हुए देश के विकास में अपना योगदान दें। जब तक जीना, तब तक सीखना। अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य मानने वाले स्वामी विवेकानंद ने सदैव देश के गौरव और स्वाभिमान को प्राथमिकता में रखा। स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व को समाजसेवा का महत्व बताया। ‘नर सेवा, नारायण सेवा’ का नारा जन-जन तक पहुंचाया। वह सदा भारत के युवाओं के बीच भारत भूमि में जन्म लेने के गौरव का आह्वान करते रहे।
उन्होंने सामाजिक स्तर पर देश को एकता के सूत्र में पिरोया। युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि बाकी हर चीज की व्यवस्था हो जाएगी, लेकिन सशक्त, मेहनती, आस्थावान युवा खड़े करना बहुत जरूरी है। ऐसे सौ युवा दुनिया में एक नई क्रांति कर सकते हैं। साथ मुख्य वक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वामी विवेकानंद जी के इन्ही कार्यों को आगे बढ़ा रहा है।
उन्होंने भारत के पुनर्निर्माण में शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो आम जनता की मदद करे और वह जीवन में संकटों से निपटने में मददगार बने, चरित्र निर्माण करे, परोपकार का भाव जगाए और सिंह की भांति साहस प्रदान करे। स्वामी विवेकानंद द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर देश हित और समाज हित में कार्य करना चाहिए।