सहारनपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरठ प्रांत के तत्वावधान में स्वयंसेवकों के सर्वांगीण विकास हेतु चल रहे 15 दिवसीय (01 जून से 16 जून 2024) संघ शिक्षा वर्ग (शालेय) के समापन समारोह का आयोजन सरस्वती विहार सीनियर सेकेंडरी स्कूल में रहा।
समारोह में शिक्षार्थियों द्वारा अतिथियों के स्वागत के रूप में स्वागत प्रणाम तथा घोष वादन किया गया। कार्यक्रम में ध्वजारोहण के पश्चात उन्होंने ध्वज की परिक्रमा कर गुरु वन्दन किया। उसके पश्चात घोष संरचना, व्यायाम योगासन, दंड युद्ध, दंड योग, दण्ड खेल, गण समता, नियुद्ध आदि का प्रदर्शन देख दर्शक दीर्घा में उपस्थित राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुजनीया देवी सुदीक्षा सरस्वती जी सहित सभी धर्मगुरु एवं अन्य गणमान्य बन्धु हतप्रभ रह गये।
‘निज ह्रदय का स्नेह कण कण देव प्रतिमा पर चढाकर राष्ट्र मंदिर का पुनर्निर्माण करना है’ उदय जी ने एकल गीत गाकर सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुजनीया सुश्री देवी सुदीक्षा सरस्वती जी रही। मुख्य अतिथि ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सभी शिक्षार्थी अपना अपना परिवार छोड़ कर इतनी भीषण गर्मी में रह रहे हैं और जिन्होंने भोजन की व्यवस्था की ऐसे अधिकारीगण, स्वयंसेवक एवं माता-बहनों को प्रणाम। यहां सभी शिक्षार्थी तपस्वी हैं ऐसा कहने में हमें संकोच नहीं है। उन्होंने रामचरितमानस में उद्धरण हुए एक दोहे का वर्णन किया कि अपने अयोध्या वासियों को संबोधित करते हुये श्रीराम जी ने कहा कि मन और तन को साधते हुये जो अनुशासन का पालन करता है ऐसे स्वयंसेवक मुझे बहुत प्रिय हैं। देवी सुदीक्षा जी ने सर्व समाज को इस कार्यक्रम से प्रेरणा मिली होगी ऐसी आशा व्यक्त की।
समापन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अरुण जैन (अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने अपने उद्भोधन में कहा कि देश महाराज शिवाजी के राज्याभिषेक के दिन, जब हिंदु साम्राज्य दिवस मनाया जाता है, की 350वीं वर्षगाठ वर्ष मना रहा है। ऐसे महाराज शिवाजी के राज्य में कभी भी किसी से भेदभाव नहीं किया गया। अरुण जी ने साथ ही बताया कि देश देवी अहिल्याबाई की 300वीं जन्मशती मना रहा, जिन्होंने लगभग 11000 मंदिरों का निर्माण/पुनर्निर्माण कराया था। 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने धर्म परिचय कार्यक्रम में मात्र 2 मिनट में अपने हिंदु धर्म के सद्भावों सद्भावना से परिचय करा हिंदु धर्म की श्रेष्ठता का परचम फहरा दिया और यह सिद्ध किया था कि केवल हिंदु धर्म ही विश्व धर्म और मानव धर्म है। अरुण जी ने संघ की स्थापना से लेकर आज तक भारत मां की सेवा में संघ ओर स्वयंसेवकों के द्वारा किये गये कार्यों की विस्तृत चर्चा की।
समापन कार्यक्रम में कईं क्षेत्रीय व प्रान्तीय अधिकारियों सहित शाकुम्बरी विश्वविद्यालय के कुलपति ह्रदय नारायण सिहं, स्वामी दीपांकर, जिला अधिकारी दिनेश चंद्र, एसएसपी डाॅ विपिन ताडां एवं अन्य लगभग 3500 गणमान्य बंधु-भगनी उपस्थित रहे।