प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे भूटान….

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा पर भूटान जा रहे हैं। इस दौरान वह भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनके पिता जिग्मे सिंग्ये वांगचुक (भूटान के पूर्व नरेश) से मुलाकात करेंगे। बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह यात्रा दोनों पक्षों को पारस्परिक हित के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान करने और दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए हमारी अनुकरणीय साझेदारी को विस्तारित एवं मजबूत करने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगी। यह यात्रा भारत और भूटान के बीच नियमित रूप से होने वाली उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा और सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम की नीति’ पर जोर देने की कवायद के अनुरूप है। चीन के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री की इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भूटान पारंपरिक तौर पर भारत के करीब रहा है। भारत और चीन भूटान में अपने सामरिक और सीमाई हित देखते हैं। बीते सालों में भूटान में भारत से निर्भरता घटाने और अपने हितों में विस्तार के लिए इतर भी संभावनाएं तलाशने पर राय बन रही है। भूटान भारत और चीन के मध्य अवस्थित है। चीन ने हाल के दशकों में वैश्विक स्तर पर तरक्की की है और भूटान पर उसके साथ सीमा विवाद को सुलझाने का दबाव बढ़ रहा है। भूटान चीन के साथ 477 किमी का बॉर्डर साझा करता है। चीन 1961 से ही भूटान के एक इलाके पर दावा करता आ रहा है। भूटान और चीन 1984 से सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

इस बीच भूटान ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण रखते हुए भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ किए और चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का मार्ग अपनाया। चीन और नेपाल की नजदीकियां सामरिक और व्यापारिक तौर पर बढ़ी हैं तथा चीन अपने पूर्वी तट से भी सामरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में भूटान को अपने आंतरिक घेरे में लेने की चीन की कवायद गौर करने लायक है। जबकि भूटान की विकास परियोजनाओं का भारत ने ना सिर्फ खाका खींचा है, बल्कि उनमें भारी निवेश भी किया है।

भारत ने भूटान में अरबों डॉलर का निवेश किया है। अपनी तरफ से भारत भूटान का सबसे बड़ा विकास साझेदार बना रहेगा। विश्लेषकों के मुताबिक यह यात्रा दोनों पक्षों को अनूठी साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करने और भारत और भूटान के बीच मित्रता और सहयोग के स्थायी संबंधों का विस्तार करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी।

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