कानपुर । देश की आजादी के बाद से लगातार महिला सशक्तिकरण की बात की जा रही है, लेकिन उनको जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका बहुत कम ही मिल पाता है। अगर कानपुर जनपद की दोनों लोकसभा सीटों की बात की जाए तो अब तक दोनों सीटों से एक-एक महिला संसद पहुंच सकी।देश में अठारहवीं लोकसभा चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है और किसी भी समय चुनाव आयोग नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। इसको लेकर राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों का एलान भी कर रही हैं। कानपुर की अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने वर्तमान सांसद देवेन्द्र सिंह भोले पर एक बार फिर भरोसा जताया है तो वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने पूर्व सांसद राजाराम पाल पर दांव लगाया है। हालांकि कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। लेकिन जिस प्रकार का राजनीतिक माहौल दिखाई दे रहा है उससे संभावना है कि इस सीट पर भी पुरुष उम्मीदवार जनता के सामने आएंगे। इससे अठारहवीं लोकसभा में भी दोनों सीटों पर एक बार फिर महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल सकेगा।एक नजर में दोनों लोकसभा सीटेंकानपुर नगर जनपद में दो लोकसभा सीटें हैं, एक कानपुर नगर तो दूसरी अकबरपुर हालांकि पूर्व में 2009 से पहले यह बिल्हौर लोकसभा सीट के रुप में जानी जाती थी। कानपुर नगर की बात करें तो यहां पर छह बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा को जीत मिली, लेकिन सभी पुरुष उम्मीदवार रहें। इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की उम्मीदवार सुभाषिनी अली 1989 में चुनाव जीती, लेकिन उनका कार्यकाल दो ही साल का रहा। वहीं अकबरपुर व पूर्व में बिल्हौर सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पांच बार और भाजपा छह बार जीत दर्ज कर चुकी है। इस सीट पर सुशीला रोहतगी कांग्रेस के टिकट पर 1967 और 1971 में सांसद चुनी गई।
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