गेम जोन अग्निकांड का गुजरात हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, राज्य सरकार व नगर निगमों को किया तलब

अहमदाबाद । गुजरात हाई कोर्ट ने राजकोट के टीआरपी गेम जोन अग्निकांड पर स्वत:संज्ञान लेते हुए इस पर सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने इस दुर्घटना को मानव निर्मित आपदा बताते हुए कहा कि आयोजकों की लापरवाही के कारण निर्दोष लोगों की जान गई है। पीठ ने राजकोट के साथ-साथ वडोदरा, सूरत एवं अहमदाबाद नगर निगम और राज्य सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए सोमवार की सुनवाई में हाजिर होने को कहा है।

जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की पीठ ने रविवार को राजकोट नगर निगम से पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत उन्होंने इस गेमिंग जोन को संचालित करने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने नगर निगम को सोमवार तक जानकारी मुहैया कराने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा कि गेमिंग जोन के निर्माण और संचालन के लिए उचित नियमों का पालन नहीं किया गया। इसी के साथ कोर्ट ने अहमदाबाद के सिंधुभवन रोड, सरदार पटेल रिंग रोड और एसजी हाई-वे पर बने गेमिंग जोन को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन के प्रमुख ब्रिजेश त्रिवेदी और एडवोकेट अमित पंचाल की ओर से पीठ को बताया गया कि दुर्घटना में करीब 30 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा भी बढ़ने की आशंका है। लोग इतने गंभीर रूप से जले हैं कि उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने फायर सेफ्टी के मुद्दे पर अलग-अलग आवेदनों पर निर्देश दिए है, इसके बावजूद इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। टीआरपी गेम जोन के पास कोई फायर सेफ्टी एनओसी नहीं थी। अथारिटी ने भी लापरवाही दिखाई है।

हाई कोर्ट ने कहा कि रेजिडेंसियल प्लॉट पर गेम जोन बनाया गया। फायर सेफ्टी नहीं थी। वेल्डिंग और मरम्मत का काम चालू होने पर भी लोगों को गेम जोन में प्रवेश दिया गया। टीआरपी गेम जोन में अतिज्वलनशील पदार्थ रखे गए थे। इमरजेंसी गेट बंद था। अग्निशमन यंत्र भी पैक कर रखे हुए थे। हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के प्रमुख ब्रिजेश त्रिवेदी ने सिटिंग जज से मामले की जांच की मांग की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *