प्रयागराज । किसी भी शैक्षणिक संस्था का विकास एवं उन्नयन संस्था प्रधान के नेतृत्व, प्रशासकीय कौशल व प्रबन्धकीय कुशलता पर निर्भर करता है। यद्यपि विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता को बनाये रखने में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन विद्यालय की पहचान प्रधानाचार्य की कार्य कुशलता एवं नवोन्मेषी अभिवृत्तियों से होती है। एक सफल विद्यालय के पीछे सदैव एक कुशल प्रधानाचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह बातें राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट), उप्र के निदेशक दिनेश सिंह ने प्रान्तीय शिक्षा सेवा संवर्ग (पीईएस) नवनियुक्त अधिकारियों का 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कही। सीमैट में मंगलवार से शुरू हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि प्रधानाचार्य कुशल प्रशासकीय एवं शैक्षणिक गुणों से परिपूर्ण होगा तो निश्चित ही विद्यालय उत्तरोत्तर विकास करता रहेगा। निदेशक ने नवनियुक्त अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आप सभी का पदस्थापन राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में हुआ है वहां आप सभी राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले बच्चों के भविष्य के निर्माणकर्ता हैं। आप सभी अधिकारियों को कुशल शैक्षिक नेतृत्वकर्ता, प्रशासनकर्ता व शिक्षाविद् के रूप में विकसित करने के साथ ही वित्तीय व विधिक पहलुओं पर भी दक्ष होने की आवश्यकता है। प्रधानाचार्य के अन्दर एक बेहतर प्रबन्धक के गुण होने चाहिये। जिससे कि वह अपने न्यूनतम संसाधनों का अधिकतम उपयोग एवं अपने सहकर्मियों के मध्य बेहतर समन्वयन स्थापित करते हुये लक्ष्य को समयान्तर्गत प्राप्त कर सके। यदि आप ऐसा करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। दिनेश सिंह ने अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि विद्यालय समुदाय के लिए प्रकाश पुंज का केन्द्र है। इसलिये आपको अपने विद्यालय को समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है। हमें आप सभी नवनियुक्त अधिकारियों से आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सभी अपने विद्यालयों को ऊचाईंयों के नये मापदण्ड पर स्थापित करेंगे। जिससे हम नई शिक्षानीति के उद्देश्यों की प्राप्ति अवश्य कर पायेंगे।
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